आज़ादी का अमृत महोत्सव हम सभी को
मिलकर मनाना है,
जन जन की सहभागिता से भारत को
आत्मनिर्भर बनाना है।
आज़ादी का अमृत महोत्सव की शुभकामनाएं ॥
आज़ादी का अमृत महोत्सव एक स्वतंत्रता का उत्सव है जो हर 25 साल में मनाया जाता है, ताकि हमारी आज की पीढ़ी के बच्चे यह जान सकें कि भारत को आज़ादीदिलाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों को कितने संघर्षों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस साल आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ है, और इसे धूम-धाम से मनाने के लिए पहले से ही तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं।तोअमृत महोत्सव के निबंध पर एक नजर डालते हैं और राष्ट्र को एक साथ लाने की शानदार यात्रा में भाग लेते हैं।
किसी भी देश का भविष्य तभी उज्ज्वल होता है जब वह अपने पिछले अनुभवों और विरासत के गौरव के साथजुड़ा रहता है। हम सभी जानते हैं कि भारत के पास एक समृद्ध ऐतिहासिक चेतना और सांस्कृतिक विरासत का एक अथाह भंडार है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए।इस ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय चेतना को भारत के घर-घर पहुँचाने के लिए, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अहमदाबाद, गुजरात में साबरमती आश्रम से एक पदयात्रा (स्वतंत्रता मार्च) को हरी झंडी दिखाकर स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के लिए समर्पित ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
आज़ादीका अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2022 से 75 सप्ताह पहले शुरू हुआ था और 15 अगस्त 2023 तक चलेगा।आज़ादी के अमृत महोत्सव का मतलब होता है स्वतंत्रता सेनानियों से प्राप्त प्रेरणा का अमृत। स्वतंत्रता का अमृत यानि नए विचारों का अमृत, नए संकल्पों का अमृत, स्वतंत्रता का अमृत है, एक ऐसा पर्व जिसमें भारत आत्मनिर्भर होने का संकल्प लेता है।
आज़ादी के इस अमृत महोत्सव को मनाए जाने के कुछ कारण है। पहला यह कि भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी मिली थी। दूसरा यह कि देश को स्वतंत्र करने के लिए जिन राष्ट्र सुपूतों ने बलिदान दिया और बहुत कष्ट सहे उन्हें याद करने का यह दिन है। तीसरा यह कि आज़ादी के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। इन कारणों से आज़ादी के अमृत महोत्सव के माध्यम उन सभी लोगों को स्वतंत्रता और लोकतंत्र के के सही मायने बताने बहुत जरूरी है|
भारत को आज़ाद कराने के लिए किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और क्या-क्या कुर्बानियां भारत को देनी पड़ी यह आज की युवा पीढ़ी को जानना जरूरी है। साथ ही यह भी कि आने वाले समय में किन चुनौतियों का सामान करना पड़ेगा। हालांकि किताबों और स्कूल में पढ़ाए गए पाठ से उन्हें आज़ादी के बारे में बहुत हद तक कुछ जानकारी मिल जाती है लेकिन वह करीब से इसकी संघर्ष की कहानी को नहीं जानते हैं। इतिहास की बहुत सी बातें पाठ्यक्रम में नहीं, जिन्हें जानना या बताना जरूरी है।
यह हम सभी का सौभाग्य है कि हम स्वतंत्र भारत के इस ऐतिहासिक काल को देख रहे हैं जिसमें भारत प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
इस पुण्य अवसर पर, हम बापू के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और देश का नेतृत्व करने वाले सभी महान व्यक्तियों के चरणों में नमन करते हैं, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान दिया।
कुछ नशा तिरंगे की आन का है,
कुछ नशा मातृभूमि की मान का है,
हम लहराएंगे हर जगह इस तिरंगे को,
ऐसा नशा ही कुछ हिंदुस्तान की शान का हैं।
Romy Gupta
T.G.T Hindi